वर्षों से ध्वस्त और वीरान पड़े एक मंदिर के तहखाने में तांत्रिक भैरव शैतान की मूर्ति के सामने समाधि लगाये बैठा था। अचानक बोला मेरे मालिक ! भैरव को अपराजित और अमर करने वाली सिद्धी कब प्राप्त होगी ? फिर उसने अपनी भरी मुट्ठी जलते हुए अलाव में दे मारी । बता मेरे स्वामी । तभी अमरत्व तो देवताओं को भी बड़ी तप साधना के बाद मुश्किल से ही प्राप्त हुआ था भैरव । फिर भला तुम्हें वह कैसे इतनी आसानी से प्राप्त हो सकता है ?
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